ज़ख्मों को चुपकर सिये जा रहे हैं
ज़ख्मों को चुपकर सिये जा रहे हैं
कभी तो मिलेगी सपनों की मंजिल,
यही सोच लेकर जिए जा रहे हैं।
जलाये रखा है चरागो को अब भी,
तेरे इश्क का ग़म पिये जा रहे हैं।
अभी शबे ग़म की बदली है छाई,
आँसुओ को बहने की इज़ाज़त नहीं है।
कफ़स में पड़े हैं तन्हाइयों के,
यहाँ खुल के हॅसने की रवायत नहीं है।
ज़ज़्बातों का दिल में मुसलसल कारवाँ,
कोशिश दफ़न की किये जा रहे हैं।
आसाँ नहीं है मोहब्बत की राहें,
बहुत दूर दिखता पिया जी का घर।
बैठे हैं रूठे किसी बात पर,
बताते नहीं तो लगता है.डर।
तड़प है उठी इस मज़बूर दिल में,
चाहत छुपाकर लिए जा रहें हैं।
वो वादे वो कसमें वो दिलदारियां,
नहीं भूलती हैं अब तक सनम।
परे जिस्म से रिश्ता रूह का,
रहेंगी जीवित जन्मों जनम।
कहें किससे जाकर ओ हमनवां,
ज़ख्मों को चुपकर सिये जा रहे हैं
शिकायत नहीं है किसी भी चुभन की,
न ही मोहब्बत है कमतर मेरी।
बेचैन बेशक राहें ज़ीस्त की,
मगर सोच अब भी वही है मेरी।
मिले नाम कुछ बेहतर से सफऱ मे,
तेरा नाम लेकर जिए जा रहें हैं।
फुरसत मिले जब तन्हाइयों से,
तभी तो ज़माने से बातें करें।
कोई मिलता तुमसे हमराज बेहतर,
आँखों के अश्कों को साझे करें।
ज़ज़्बात जब तब मचलते रहे,
कोशिश दफ़न की किये जा रहें हैं।
यादों की गलियों में मिलते हो अक्सर,
मगर देखते हो क्यूँ अजनबी से।
पहचानने की कोशिश करो तो,
मिलेंगी निशानियाँ दिल की गली में।
मज़बूत गांठे लगाए जो बैठे,
मशविरा खोलने की दिए जा रहे हैं।
स्नेहलता पाण्डेय \\'स्नेह\\'
7/8/22
Shashank मणि Yadava 'सनम'
17-Feb-2023 03:36 PM
It's outstanding beyond the thoughts
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सीताराम साहू 'निर्मल'
12-Dec-2022 12:18 PM
बहुत सुंदर सृजन
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Punam verma
12-Dec-2022 09:11 AM
Very nice
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Sneh lata pandey
12-Dec-2022 11:03 PM
Thanks 🙏🙏
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